Saturday 14 March 2015

♥♥प्रत्यावेदन ..♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रत्यावेदन ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
यदि हमारा प्रत्यावेदन प्रेम का, जो स्वीकार हो गया। 
तो समझूंगा एहसासों का, जीवन में सत्कार हो गया। 
और यदि फिर से ठुकराया, तुमने मेरा प्रेम निवेदन,
तो निश्चित ही मेरा जीवन, कंटक, झाड़ी, ख़ार हो गया। 

दिल तेरे क़दमों में रखा, इससे ज्यादा कर न पाऊं। 
प्यार बहुत गहरा है तुमसे, कमी तुम्हारी भर न पाऊं। 

बहेंगे आंसू, काले बादल, सूरत का सिंगार हो गया। 
यदि हमारा प्रत्यावेदन प्रेम का, जो स्वीकार हो गया... 

फिर से सोचो, मेरी पीड़ा, जरा समझ लो ये कहता हूँ। 
तुमको सबको कुछ बता दिया है, बिन तेरे कैसे रहता हूँ। 
"देव" हमारा उजड़ा चेहरा, देखके सब पत्थर बरसाते,
मैं छोटे से दिल का मालिक, दुनिया भर के गम सहता हूँ। 

सब कुछ कह डाला लफ़्ज़ों ने, चलो हमें चुप हो जाने दो। 
नींद नहीं आयेगी लेकिन, झूठमूठ का सो जाने दो।

लगता है भावों का याचन,  रद्दी सा, बेकार हो गया। 
यदि हमारा प्रत्यावेदन प्रेम का, जो स्वीकार हो गया। "

...................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१४.०३.२०१५

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