Wednesday 22 June 2016

♥♥गीत का सार...♥♥

♥♥♥♥♥गीत का सार...♥♥♥♥♥♥
गीत का सार बन गये हो तुम। 
रूह का प्यार बन गये हो तुम। 

एक पल को भी तुमको भूला नहीं,
ऐसा किरदार बन गये हो तुम। 

जान तक तेरे नाम कर दूंगा,
मेरे हक़दार बन गये हो तुम। 

मैं महकने लगा गुलों की तरह,
फूल का हार बन गये हो तुम। 

मेरे चेहरे पे है दमक कितनी,
मेरा सिंगार बन गये हो तुम। 

राह मुझको सही दिखाने को,
एक मददगार बन गये हो तुम। 

"देव" तुमसे ही शाम, सुबह मेरी,
मेरा संसार बन गये हो तुम। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२३.०६.२०१६ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। " 

No comments: